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वर्तमान गठबन्धनों कि टूट फूट व तीसरे मोर्चे कि संभावना

होली गई
होली गई
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वर्तमान में भारतीय राजनीति एक नए व अनोखे दौर से गुजर रही है | सभी राजनितिक दलों में विखराव देखने को मिल रहा है | ऐसा लगता है वर्तमान में किसी भी पार्टी में एक सुखद समाज व संपन्न राष्ट्र की सोच नहीं है |किसी भी तरह अपने वोट बैंक को बचाने की चिंता सभी में देखने को मिल रही है | जातिवाद ,छेत्रवाद,भाषा,व मज़हब के आधार पर अपने -२ वोट हथियाने की होड़ लग रही है | सच कहूँ तो सहीदों के सपनों की हत्या हो रही है |
ऐसे में तो वर्तमान राजनीति के ही विकल्प की आवश्यकता है | मेरी यह भविष्यवाणी सुरक्षित रख ली जाये कि २०१४ में भारतीय राजनीति को एक नई दिशा मिलेगी | कोई एक नई पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आकर सबको चौंका देगी , और भारत को सहिदों के सपनों का भारत बनाने में सक्ष्यम होगी | यद्यपि वर्तमान पार्टियाँ विरोध करेंगी पर आम जनता का भरोषा उस पार्टी को रहेगा |
मोहन योगी
एक चिन्तक, हल्द्वानी, जि.- नैनीताल (उत्तराखंड)

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